दुश्वारियां बरकरार, इंडिगो की 650 उड़ानें रहीं निरस्त, यात्रियों को लौटाये 610करोड़
एयरलाइन ने 3,000 बैगेज भी सौंपे: दावा-1,650उड़ानें हुई..सरकार ने कहा-हालात पर नजर, कार्रवाई निश्चित
भारतीय किसान मोर्चा पार्टी समाचार
नई दिल्ली/मुंबई। हवाई यात्रा की दुश्वारियां रविवार को भी जारी रहीं और छठे दिन इंडिगो एयरलाइन ने 650 उड़ाने रद्द कीं। कुछ जगहों पर उड़ानों में देरी भी हुई। इससे दिल्ली और मुंबई समेत देशभर में अफरा-तफरी का महौल रहा और हजारों यात्री प्रभावित हुए।
सरकार की ओर से समयसीमा तय करने के बाद इंडिगो ने अब तक रद्द उड़ानों को कुल 610 करोड़ रूपये लौटाये हैं और 3,000 बैगेज भी सौपे हैं। यह बैगेज हवाई अड्डों पर चेकइन के दौरान यात्रियों से लिए गये थे, पर आखिरी वक्त में उड़ाने रद्द होने से उनके बैगेज फंस गये थे।
इंडिगो ने दावा किय, जल्द ही स्थिति और सुधरेगी। एयरलाइन ने रविवार को 1,650 उड़ाने संचालित की। नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल ने कहा कि सरकार मामले को गंभीरता से ले रही है और निश्चित रूप से कार्रवाही की जायेगी। मंत्रालय ने रद्द उड़ानों के टिकट के पैसे यात्रियों को लौटाने के लिए इंडिगो को रविवार शाम तक का समय दिया था, जबकि सोमवार शाम तक बैगेज लौटाने को कहा था। मंत्रालय ने कहा कि इंडिगो के संकट को दूर करने के लिए त्वरित कदम उठाये हैं। अन्य सभी घरेलू एअरलाइंस सुचारू रूप से और पूरी क्षमता से काम कर रही है।
दिल्ली में 109 उड़ानें हुई रद्द
उडानों पर जारी संकट के बीच सबसे ज्यादा प्रभाव हैदराबाद में देखा गया। यहां राजीव गांधी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 115 उड़ानें रद्द हुई, जिनमें से 54 आगमन व 61 प्रस्थान की थी।
दिल्ली में कम से कम 59 प्रस्थान और 50 आगमन, यानी कुल 109 उड़ानें रद्द हुई। वहीं, कोलकाता में 76 उड़ानें प्रभावित हुई, जिनमें से 53 प्रस्थान और 23 आगमन वाली थीं।
इंडिगो ने कहा-कर रहे सुधार
इंडिगो के सीइओ पीटर एल्बर्स ने कहा कि हम कदम दर कदम सुधार कर रहे हैं। उड़ानों को रद्द किये जाने की सूचना यात्रियों को समय से पहले दी जा रही है, ताकि उन्हें हवाई अड्डे तक नहीं जाना पड़े।
एयरलाइन के प्रवक्ता ने कहा कि रविवार को 138 में से 137 गंतव्यों पर 1,650 से ज्यादा उड़ानें की गयीं। कंपनी ने 10 दिसम्बर तक उड़ानों के सुचारू होने की उम्मीद जताई है।
वैश्विक विमानन इतिहास में ऐसा संकट अब तक नहीं देखा गया
छह दिनों में सात लाख से ज्यादा यात्री बेघर और बेबस नजर आये
भारत में इंडिगो एयरलाइन का दो से सात दिसंबर के बीच जो ऑपरेशनल पतन सामने आया, वह वैश्विक विमानन इतिहास में दुर्भाग्यपूर्ण, दुर्लभ और चौंका देने वाली घटना है। इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑगनाइजेशन (आईसीएओ), इंटरनेशनल एयर ट्रैफिक ऑर्गेनाइजेशन (आईएटीओ) व एशिया पैसिफिक रीजनल ऑफिस की शुरूआती रिपोर्ट इस संकट को पूरा सिस्टम फेल होने की श्रेणी में रखती हैं, जो किसी देश में प्राकृतिक आपदा को छोड़कर शायद ही कभी देखने को मिला हो। इस दौरान छह से सात लाख यात्री पूरे देश के हवाई अड्ड़ों पर बिना सूचना, बिना सहायता और बेहद दयनीय परिस्थितियों में फंसे रहे। न एयरलाइन के अधिकारी सामने आये, न नियामक एजेंसियों ने दिशा दिखाई और न सरकार ने राहत की ठोस व्यवस्था की। इस सामूहिक चूक ने हवाई यात्रा को ऐसी अराजकता में बदल दिया, जिसमें किसी की परीक्षा छूटी, किसी की शादी, इंटरव्यू और किसी का जीवन बचाने वाला इलाज।
इस घनघोर लापरवाही ने भारत की विमानन व्यवस्था को नींव हिला दी। छह दिनों में रद्द हुई उड़ानों को कुल सख्या 2,000 से अधिक रही, जबकि चार हजार से अधिक उड़ानें लंबी देरी से चलीं। संख्या ज्यादा भी हो सकती है। इस अवधि में हर बड़े हवाई अड्डे पर यात्रियों का औसत प्रतीक्षा समय 14 से तीस घंटे रहा। कई टर्मिनल पर यात्री भोजन और पानी की कमी से परेशान और बेहाल नजर आये। बच्चे रो रहे थे। महिलायें गम और गुस्से में र्थी। रात में रूकने की व्यवस्था न होने के कारण यात्रियों को फर्श पर सोना पड़ा।
सबसे चिंताजनक यह रहा कि एयरलाइन ने न कोई रूपष्ट प्रेस ब्रीफिंग की, न यात्रियों को बताया कि स्थिति कब सामान्य होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इंडिगो के तेज विस्तार, सीमित क्रू बफर, अत्यधिक सघन टाइम-टेबल व नियामक ढील ने ऐसा दबाव तैयार किय, जो सिस्टम को तोड़ गया।
मौन, भ्रम व जबाबदेही का अभाव
रिपोर्ट के अनुसार, हैरान करने वाला पहलू था सरकार और नियमाक संस्थानों की बेहद धीमी प्रतिक्रिया। नागरिक उड्ड़यन मंत्रालय ने दो संक्षिप्त बयान जारी किये, जिनमें इतना कहा गया कि स्थिति की निगरानी की जा रही है। यात्री धैर्य रखें। इस संकट का पैमाना और उसके मानवीय प्रभाव इतने विशाल थे कि विशेषज्ञों ने उड़्ड़यन क्षेत्र के लिए नेशनल-लेवल इमरजेंसी मानने की मांग की। हालांकि सरकार ने इसे सामान्य परिचालन अव्यवस्था के दायरे में ही रखा। नियामक संस्था डीजीसीए ने रिपोर्ट मांगी, पर इसकी समय सीमा और जांच के दायरे को लेकर भी अस्पष्टता रही।
बेबसी की अनगिनत कहानियां
संकट की सबसे मार्मिक और निर्णायक तस्वीर वे लोग हैं, जिनके जीवन के महत्वपूर्ण क्षण दस अव्यवस्था में छिन गये। कई छात्रों ने बताया कि वे प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल नहीं हो सके, जिनके लिए वे पूरे वर्ष तैयारी करते रहे थे। एक छात्रा ने कहा कि उसकी परीक्षा साल में केवल एक ही बार होती है और फ्लाइट रद्द होने से उसका पूरा वर्ष दांव पर लग गया। शांदियों में शामिल होने जा रहे परिवारों की स्थिति भी कम दारूण नहीं थी। मध्य प्रदेश के एक परिवार ने कहा कि उनकी बेटी की विदाई हो रही थी और वे एयरपोर्ट पर फंसे रह गये। कुछ लोगों ने बताया कि शादी स्थगित करने का निर्णय लेना पड़ा, क्योंकि रिश्तेदारों का आधा हिस्सा अभी भी अलग-अलग शहरों के एयरपोर्ट पर है।
कितनों की नौकरी छूट गई
पेशवर और नौकरीपेशा लोगों के लिए यह संकट और भी भीषण साबित हुआ। हैदराबाद ,मुंबई और बंगलूरू में सैकड़़ों युवाओं के इंटरव्यू और नियुक्ति तिथि छूट गयी। एक यात्री ने कहा कि उसकी बहुराष्ट्रीय कंपनी में ज्वॉवइनिंग का आखिरी दिन था और वह सिर्फ इसलिए नौकरी से वंचित हो गया, क्योंकि एयरलाइन ने वैकल्पिक यात्रा, उपलब्ध कराने से हाथ खड़े कर दिये।






