पुतिन के दौरे से पहले अहम रक्षा करार 2028 तक मिलेगी परमाणु पनडुब्बी
10 साल के लिए लीज पर देगा रूस, ऊर्जा-रक्षा क्षेत्र में भी हो सकते हैं कई समझौते
नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के भारत दौरे से ठीक पहले रक्षा क्षेत्र से एक बड़ी खबर सामने आई है। भारत और रूस के बीच परमाणु पनडुब्बी को लेकर अहम करार हुआ है। इस समझौते के तहत रूस अपनी परमाणु रिएक्टर से चलने वाली एसएसएन (चक्र क्लास) पनडुब्बी भारत को 10 साल के लिए लीज पर देगा।
रूस ने भरोसा दिलाया कि वह इस पनडुब्बी को 2028 तक पूरी तरह तैयार करके भारत को सौंप देगा। हालांकि, भारतीय नौसेना की इच्छा है कि यह पनडुब्बी 2027 तक ही मिल जाये, ताकि उसकी समुद्री ताकत और भी मजबूत हो सके। यह करार दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों की गहरायी और भरोसे को एक बार फिर दिखाया है। यह दूसरी परमाणु पनडुब्बी है, जो भारत को रूस से मिलने जा रही है। इससे पहले भारत ने 2012 में रूस से आईएनएस चक्र पनडुब्बी 10 वर्षों के लिए लीज पर ली थी, जो 2022 में वापस रूस चली गयी थी। यह परमाणु पनडुब्बी कई हफ्तों तक पानी के भीतर रह सकती है। इससे किसी भी देश की समुद्री ताकत और बढ़ जाती है।
राष्ट्रपति पुतिन के कार्यालय क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि रूस शान्तिपूर्ण समाधान खोजने के लिए भारत की तैयारी की तारीफ करता है। रूस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सम्मान करते हैं। हम उन स्टेशनों के लिए लोगों को तैयार करने, उन्हें सिखाने, भारत को टेक्नोलॉजी देने में हिस्सा ले रहे हैं। उन्होनें कहा, भारत और रूस के बीच व्यापार दोनों देशों की मुद्राओं में हो रहा है। यह बहुत जरूरी है। क्योंकि इस तरह हम अपना व्यापार और संप्रभुता सुरक्षित कर रहे हैं।
एस-400 व एसयु-57 भी एजेंडे में: क्रेमलिन
राष्ट्रपति पुतिन के कार्यालय क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने मंगलवार को वीडियो क्रॉन्फ्रेसिंग के जरिये भारतीय पत्रकारों से बातचीत में कहा, एस-400 लंबी दूरी की एयर डिफेंस सिस्टम की अतिरिक्त बिक्री और बसें बेहतर लड़ाकू विमान माना जाने वाला एसयू-57 भी बातचीत के एजेंडे में शामिल हो सकती है। रूस भारत के साथ इस विमान के दो-सीटर वर्जन के संयुक्त विकास एसयू-57ई या एफजीएफए पर भी काम करने को तैयार है। पेसकोव ने ब्रहमोस मिसाइल परियोजना का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच सिर्फ खरीद-फरोख्त नहीं, बल्कि उच्च तकनीक का आदान-प्रदान होता है, जो भविष्य के सहयोग की मजबूत नींव है। दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा को लेकर समझौता संभव है। रूस छोटे और लचीले परमाणु रिएक्टर बनाने की उन्नत तकनीक रखता है और भारत के साथ इस क्षेत्र में निवेश साझा करने का इच्छुक है। उन्होंने कहा कि रूस पहले से कुडानकुलम परियोजना में शामिल है।
पुतिन दो दिवसीय दौरे पर कल पहुंचेंगे भारत
रूसी राष्ट्रपति पुतिन का दो दिवसीय भारत दौरा बृहस्पतिवार से शुरू हो रहा है। चार साल बाद होने जा रही पुतिन की इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत को रूसी तेल, मिसाइल सिस्टम और लड़ाकू विमानों की अधिक बिक्री के लिए तैयार करना है। खासतौर पर ऐसे समय में जब अमेरिका के दबाव के कारण रिश्ते प्रभावित हुए हैं। भारत लम्बें समय से रूसी हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार रहा है।
राष्ट्रपति पुतिन पर राजदूतों का साक्षा लेख अस्वीकार्य: भारत
विदेश मंत्रालय ने जताई आपत्ति, कहा-सलाह देना उचित नहीं
नई दिल्ली। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के राजदूतों के एक साझा लेख को भारत ने असामान्य करार दिया है। साथ ही, स्पष्ट तौर पर कहा है कि इस तरह किसी तीसरे देश के मामले में दखल देना अस्वीकार्य है। भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने मंगलवार को कहा, हमने इस लेख पर गौर किया है।
विदेश राजदूतों के लिए इस तरह किसी अन्य देश के साथ अपने रिश्तों के मामले में भारत को सार्वजनिक तौर पर सलाह देना उचित नहीं है। एक अधिकारी ने नाराजगी जताते हुए कहा, यह बहुत अजीब है। इस तरह की सलाह देना कूटनीतिक स्तर पर उचित तरीका नहीं है। पुतिन की भारत यात्रा से ठीक पहले उक्त साझा भारत में ब्रिटिश राजदूत लिंडी कैमरन, फ्रांसीसी राजदूत थिएरी मथौ और जर्मन राजदूत फिलिप एकरमैन ने संयुक्त रूप से लिखा हे, जिसमें रूस पर आरोप लगाया कि वह शांति की कोशिशों के बीच भी हवाई हमलों को बढ़ाकर युद्व को गम्भीर बना रहे है। उन्होनें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस नजरिया का भी जिक्र किया कि युद्व के मैदान में समाधान नहीं निकाला जा सकता।
ये राजनयिक प्रोटोकॉल का उल्लंघन: कंवल
नई दिल्ली। भारत की आधिकारिक याात्रा से पूर्व लेख के जरिये राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की राजदूतों द्वारा की गयी आलोचना को पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने राजनयिक प्रोटोकाल का उल्लंघन और भारत के आंतरिक मामलों में शर्मनाक हस्तक्षेप करार दिया है। दरअसल जर्मनी और फ्रांस के राजदूत फिलिप एकरमैन व थिएरी मार्थो और ब्रिटिश उच्चायुक्त लिंडी कैमरोन ने इस लेख के जरिये पुतिन की आलोचना करते हुए उन पर यूक्रेन युद्व खत्म कर शान्ति बहाल करने की दुनिया की मुहिम में दिलचस्पी नहीं लेने का आरोप लगाया था।
सिब्बल ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर राजनयिकों के इस व्यवहार पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होनें लिखा कि पुतिन की भारत यात्रा से ठीक पहले रूस के खिलाफ यह दुर्भावनापूर्ण लेख राजनयिक मानदंडों का उल्लंघन करता है। यह भारत का कूटनीतिक अपमान है क्योंकि यह एक अत्यन्त मित्रवत तीसरे देश के साथ भारत के घनिष्ठ सम्बन्धों पर सवाल उठाता है। यह हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है, क्योंकि इसका उद्देश्य भारत में यूरापीय समर्थक हलकों में रूस विरोधी भावनाओं को भड़काना, हमारे सम्बन्धों की नैतिकता पर सवाल उठाना है।






