अमेरिका विरोध व विवादों के बीच जी-20 सम्मेलन समाप्त, भारत का दिखा दबदबा
अमेरिका के शामिल न होने से दक्षिण अफ्रीका ने किसी को नहीं सौपा अध्यक्षता का प्रतीक गौवल
जोहानिसबर्ग। दक्षिण अफ्रीका में पहली बार आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन रविवार को विवादों के बीच सम्पन्न हो गया। अमेरिका के बहिष्कार के कारण दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति मिरिल रामफोसा ने समापन समारोह के मौके पर किसी अमिरिकी अधिकारी को गवेल (अध्यक्षता का प्रतीक हथौड़ा) नहीं सौपा। बहरहाल, प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी, समूह के सदस्य देशों के नेताओं के साथ उनकी मुलाकात से लेकर सम्मेलन के एजेन्डें तक में भारत का दबदबा पूरी तरह नजर आया। भारत का वैश्विक दक्षिणी की एक प्रमुख आवाज बनकर उभरा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड टंªप ने दक्षिण अफ्रीका पर नस्लभेद का आरोप लगाते हुए सम्मेलन का बहिष्कार कर दिया था। वह सम्मेलन मंें शिरकत करने नहीं पहुँचे और जलवायु विŸा जैसे कई अहम मुद्दों पर अड़गा लगाकर घोषणा पत्र जारी होने से रोकने की कोशिश भी की। लेकिन दक्षिण अफ्रीका ने सम्मेलन के श्ुारूवात में ही घोषणा पत्र को सर्वसम्मति से पारित कराकर साफ कर दिया कि वह अमेरिका गैर-मौजूदगी से प्रभावित होने वाला नहीं है। यह सम्मेलन इस मामले में भी ऐतिहासिक रहा कि पहली बार किसी की अध्यक्षता का प्रतीक हथौड़ा (गवैल) नहीं सौंपा गया, सम्मेलन के समापन से पहले ही दक्षिण अफ्रीका विदेश मन्त्री रोनाल्ड लामोला ने साफ कर दिया कि कोई औपचारिक हैंडओवर सेरेमनी नहीं होगी। अमेरिका चाहे तो बाद मे विदेश मन्त्रालय के दफ्तर से जी-20 दस्तावेज ले सकता है।
बहुपक्षीय विकास बैंको मे ंप्रतिनिधित्व बढ़ाने की माँग
जी-20 देशों ने वर्ल्ड बैंक और आईएसएफ जैसे बहुपक्षीय विकास बैंक और दूसरे अन्तराष्ट्रीय आर्थिक और विŸाीय संस्थानों में फैसले लेने में विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व और आवाज बढ़ाने की जरूरत पर जोड़ दिया। सम्मेलन में इस बात को रेखांकित किया गया कि गरीबी कम करने और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में बहुपक्षीय विकास बैकों की अहम भूमिका होती है।





