बेसिक शिक्षकों की अब ऑॅनलाइन हाजिरी

बेसिक शिक्षकों की अब ऑॅनलाइन हाजिरी
प्रधानाध्यापक दर्ज करेंगे उपिस्थति..विद्यालय शुरू होने के एक घंटे के भीतर करानी होगी दर्ज
भारतीय किसान मोर्चा पार्टी समाचार
लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों की भी अब ऑनलाइन हाजिरी दर्ज होगी। उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये निर्देश के क्रम में गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर शासन ने ऑनलाइन डिजिटल उपस्थिति प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिये हैं। इसमें शिक्षकों को विद्यालय दर्ज करानी होगी। उपस्थिति प्रधानाध्यापक दर्ज करेंगे। प्रदेश के 1.33 लाख परिषदीय विद्यालयों में तैनात 4.50 लाख शिक्षकों पर फैसले का असर पड़ेगा।
बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों को ऑनलाइन उपस्थिति के लिए विषालय शुरू होने से एक घंटे का मार्जिन दिया जायेगा। इसके बाद सिस्टम लॉक हो जायेगा। नेटवर्क की दिक्कत से हाजिरी दर्ज करने में समस्या पर ऑफलाइन उपस्थिति दर्ज की जायेगी। यह नेटवर्क सुचारू होने पर ऑनलाइन डिजिटल प्रणाली में सिंक हो जायेगी। विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा उपस्थिति दर्ज की जायेगी। प्रधानाध्यापक द्वारा इसमें असमर्थता व्यक्त करने पर यह जिम्मेदारी दूसरे शिाक्षक को दी जायेगी।
अनुपस्थिति पर शिक्षक का पक्ष जाने बिना कोई कार्रवाही नहीं
अनुपस्थिति के संबंध में बिना कारण बताओं नोटिस जारी किये तथा बिना शिक्षक का पक्ष जाने शिक्षक के विरूद्व कोई कार्रवाही नहीं की जायेगी। अपर मुख्य सचिव ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा को जारी निर्देश में कहा है कि वे इस निर्णय के अनुसार आगे की कार्यवाही सुनिश्चित कराते हुए इससे शासन को अवगत कराये।
2024 का आदेश विरोध के बाद वापस
2024 में  शिक्षकों के लिए डिजिटल अटेंडेंस लागू करने के आदेश जारी किया गया था, लेकिन शिक्षकों ने इसका विरोध किया। इसके बाद तत्कालीन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में समिति बनाकर शिक्षकों की मांगों पर निर्णय करने की बात कही गयी। इसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था।
समिति की संस्तुति पर फिर लिया फैसला
हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर को शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए आदेश जारी किया था। इसी क्रम में विभाग ने एक समिति का गठन किया। इसमें महानिदेशक स्कूल शिक्षा, निदेशक समाज कल्याण व अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, निदेशक बेसिक शिक्षा व एससीईआरटी, बीएसए लखनऊ, सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन, शिक्षक शामिल थे। इनकी छह नंवबर को हुई बैठक के क्रम में यह निर्देश जारी किये गये हैं।
30 हजार शिक्षामित्रों को घर के पास तैनाती का मौका
लखनऊ। लंबे समय से शिक्षामित्रों की मूल विद्यालय वापसी की उम्मीद जाड़े की छुट्टियों में पूरी हो सकती है। शासन ने मंगलवार को शिक्षामित्रों के मूल विद्यालय वापसी का आदेश जारी कर दिया। इसका लाभ करीब 30 हजार शिक्षामित्रों को मिलेगा। इनमें महिला शिक्षामित्रों अपने पति के घर की ग्राम पंचायत में तैनाती पर सकेंगी।
बेसिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव अवधेश कुमार तिवारी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि पहले शिक्षामित्रों से तय प्रारूप पर जानकारी ली जायेगी। इसके आधार पर जो शिक्षामित्र वर्तमान तैनाती स्थल पर रहना चाहते हैं, उनके विकल्प पर किसी कार्यवाही की जरूरत नहीं होगी। जो शिक्षामित्र अपने मूल तैनाती विद्यालय का विकल्प देते हैं और वहां पद खाली है तो उनकी तैनाती कर दी जायेगी।
जहाँ मूल तैनाती स्थल पर जगह खाली नहीं है उनको मूल विद्यालय की ग्राम सभा, ग्राम पंचायत या वार्ड के किसी विद्यालय में पद खाली होने पर तैनात किये जायेगा। इसके लिए डीएम की अध्यक्षता वाली समिति प्रक्रिया की पूरी करेगी। इसमें सीडीओ, डायट प्राचार्य, बीएसए व सहायक विŸा एवं लेखाधिकारी सदस्य होगें।
जून से अटकी थी प्रक्रिया
शिक्षामित्रों के समायोजन व मूल विद्यालयों में तबादले के लिए तीन जनवरी 2025 का शासनादेश जारी किया गया था। 12 जून को इसके क्रियान्वयन के लिए दिशानिर्देश जारी किये गये थे। पर, विभाग इसका पालल सुनिश्चित नहीं कर सका है। आदेश जारी होने पर संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिक कुमार शुक्ला ने शासन का आभार जताया है। समायोजन की प्रक्रिया दो चरणों में होगी। पहले चरण में मूल विद्यालय मे पद खाली रहने पर व पास के विद्यालय में तबादले के इच्छुक शिक्षामित्रों को मौका मिलेगा। इसके बाद दूसरे चरण में समायोजन होगें। दूसरे चरण के लिए अलग से दिशा-निर्देश जारी किये जायेगें।
बीएलओ को धमकियो पर सुप्रीम कोर्ट गंभीर, कहा-इससे निपटें वरना फैलेगी अराजकता
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में एसआईआर 2.0 में लगे बीएलओअन्य अधिकारियों को मिल रही धमकियों पर चिंता जताई। शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयोग से कहा कि इससे निपटें वरना अराजकता फैल जायेगी। अदालत ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण में  राज्य सरकारों की ओर से सहयोग न करने पर भी चिंता व्यक्त की।
सीजीआई जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस जॉयमॉल्या बागची की पीठ ने कहा, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि एसआईआर बिना किसी गड़बड़ी के जमीनी स्तर पर हो। पीठ ने आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी से कहा, सहयोग की कमी और बीएलओ के काम में बांधा के मामले हमारे संज्ञान में लाएं। हम उचित आदेश पारित करेंगें। द्विवेदी ने कहा राज्य सरकारों को सहयोग करना चाहिये। हमें सुरक्षा देनी चाहिए। अगर सरकार ऐसा करने से इन्कार करती हैं, तो हमारे पास स्थानीय पुलिस को प्रतिनियुक्त पर लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। स्थिति नहीं सुधरती है तो हमें केंद्रीय बलों को बुलाना होगा। जस्टिस बागची ने कहा, आयोग चुनाव प्रक्रिया शुरू होने तक पुलिस को अधिकारियों को धमकाने को घटनाओं से निपटने के लिए सांवधानिक अधिकार हैं। इस पर सीजेआई ने कहा, स्थिति से निपटें। ये बहुत गंभीर है अन्यथा अराजकता फैल जायेगी।

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