नए श्रम कानून प्रभावी, कामगारों को न्यूनतम वेतन, सुरक्षा की मिली गारन्टी
बड़ा नीतिगत बदलाव
हर कामगार को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य
40 से अधिक आयु वाले श्रमिको की मुफ्त स्वास्थ्य जाँच
ओवरटाइम पर दो गुना वेतन
रात में महिलाओं को काम करने की अनुमति
कार्यस्थलों पर भेदभाव पर लगाम
एक साल की नौकरी पर ग्रेच्युटी
संविदा मजदूर पीएफ रफ्तार
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने बड़े नीतिगत बदलाव और सुधारों की ऐेितहासिक पहल के तहत देश में नये श्रम कानूनों को शुक्रवार से लागू कर दिया। इनसे देशभर के 40 करोड़ से ज्यादा श्रमिकों के जीवन में बदलाव आने की उम्मीद है।
केन्द्र सरकार के मुताबिक, चार नई श्रम संहितायें बेहतर वेतन, संरक्षण, सामाजिक सुरक्षा और कामगारों का कल्याण सुनिश्ति करेगी। इनमें हर कामगार को समय पर न्यूनतम वेतन की गारंटी है, जिससे देरी, मनमानी और शोषण की गुजांइस खत्म होगी। नौकारी में युवाओं के लिए नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य किया गया है। साथ ही महिलाओं से कार्यस्थलों पर भेदभाव पर लगाम लगेगी। इसमें उन्हें रात में काम करने की अनुमति भी शामिल है। इन सुधारांे से निवेंश को बढ़ावा मिलने से अर्थव्यवस्था को भी रफ्फार मिलेगी। श्रम कोनूनों में बदलाव के लिए 2020ई॰ में संसद में मंजूरी मिल गयी थी, पर राजनीतिक गतिरोध और श्रमिक संगठनों के विरोध के चलते इन्हें लागू नहीं किया जा सका था।
चार नई श्रम संहिताओं को अधिसूचना जारी होने के बाद केन्द्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया कि मौजूदा 29 श्रम कानूनों को सरल और युक्तिसंगत बनाया गया है। नए कानून तत्काल प्रभाव से लागू हो गये हैं। श्रम मंत्रालय ने कहा, नए सुधारों से कामकारों का कल्याण सुनिश्चित होगा। काम की संस्कृति विकसित होगा और भविष्य के लिए उद्याोगों को भी मजबूती मिलेगी। नए कानूनों में निश्चित अवधि के लिए नियुक्ति पाने वाले कर्मचारियों को सिर्फ एक साल की नौकरी के बाद ग्रेच्युटी का हक दिया गया है। संविदा पर काम करने वाले लाखों कामगारों के लिए भी यह बड़ी राहत है, क्योंकि उन्हें स्थायी कर्मचारियों जैसी सुरक्षा नहीं मिलती। 40 से ज्यादा की उम्र के हर कामगार की सालाना निशुल्क स्वास्थ्य जाँच अनिवार्य की गयी है। इसे कामगार की सेहत के लिहाज से दीर्धकालिक निवेश माना जा रहा है। ओवरटाइम करने वालों को लिए दोगुने वेतन का प्रावधान है, जिससे शोषण कम होगा और अतिरिक्त मेहनत का सही मूल्य मिलेगा। इन कानूनों में ठेकें पर काम करने वाले मजदूरों के लिए कवरेज, कर्मचारी भवष्यि निधि संगठन (ईपीएफओ) के दायरों को विस्तार दिया गया है।
गिग और प्लेटफार्म वर्करः पहली बार परिभाषित
गिग और प्लेटफार्म यानी रैपिडो, जोमैटो, स्विगी, जोला उबर से जुड़े कामगारों को पहली बार परिभाषित किया गया है, पहली बार डिजिटल और मीडिया कर्मियों, फ्रीलांसर भी औपचारिक रूप से श्रम संरक्षण के ढ़ाचे आ गये हैं। उन्हे ज्यादा सामाजिक सुरक्षा, बेहतर वेतन सुनिश्चित हो सकेगा।
कानूनों में ठेका, प्रवासी, खनन, बागान व खतरनाक क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना कवरेज, सुरक्षा मानक और ओवरटाइम के दौरान दोगुना वेतन मिलेगा।
युवा कामगार: छुट्टी के दौरान भी मिलेगा वेतन
युवा श्रमिकों के लिहाज से सभी कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी की गारंटी है, नियुक्ति पत्र अनिवार्य करने से सामाजिक सुरक्षा, रोजगार विवरण को बढ़ावा मिलेगा। नियोक्ता अब मजदूरों का शोषण नहीं कर सकेगें।
प्रत्येक मजदूरों को छूट्टी के दौरान भी मजदूरी देना अनिवार्य होगा। सुधारों से कामगारों को अच्छा जीवन स्तर सुनिश्चितह होगा।
महिला: बराबरी का दर्ज ....समयबद्व शिकायत निवारण
नये कानूनों में महिला श्रमिकों को बराबरी का दर्जा दिया जायेगा। सहमति से और अनिवार्य सुरक्षा के साथ वह रात की पाली में भी काम कर सकेंगी। समयबद्व शिकायत निवारण, समितियो में महिला श्रमिकों की अनिवार्य सहभागिता की गारन्टी भी देगी। इसमें एकल पंजीकरण, राष्ट्रीय लाइसेन्स और एकल विंड़ों प्रणाली है।
समान काम के लिए समान वेतन। 26 सप्ताह का वेतन सहित मातृत्व लाभ। शिशुपालन व घर से काम करने की सुविधा। 3500 का मेडिकल बोनस। परिवार की परिभाषा में सास-ससुर भी।





