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नेता और जनता का दोहरा मापदंड देखिए — नेता चाहे तो दो सीटों से एक साथ चुनाव लड़ सकता है,
लेकिन आम नागरिक दो जगह वोट नहीं डाल सकता। -
अगर आप जेल में बंद हैं तो वोट नहीं डाल सकते…
लेकिन नेता और जनता का दोहरा मापदंड यही कहता है कि नेता जेल में रहते हुए भी चुनाव लड़ सकता है। -
अगर आप कभी जेल गए हों, तो ज़िंदगी भर सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी,
लेकिन नेता चाहे कितनी भी बार हत्या या बलात्कार के केस में जेल गया हो, फिर भी प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति बन सकता है —
यही है असली नेता और जनता का दोहरा मापदंड। -
बैंक में मामूली नौकरी के लिए ग्रेजुएट होना जरूरी है,
लेकिन एक अंगूठा छाप व्यक्ति भारत का वित्त मंत्री बन सकता है।
ये भी नेता और जनता के दोहरे मापदंड का ही हिस्सा है। -
सेना में सिपाही बनने के लिए डिग्री के साथ 10 किलोमीटर दौड़ना ज़रूरी है,
लेकिन नेता चाहे अनपढ़ हो या विकलांग, वह डिफेंस मिनिस्टर बन सकता है।
क्योंकि यहां भी नेता और जनता का दोहरा मापदंड साफ नज़र आता है। -
जिसका पूरा खानदान कभी स्कूल न गया हो, वो देश का शिक्षामंत्री बन सकता है।
जिस पर हजारों केस चल रहे हों, वो गृह मंत्री बन सकता है।
नेता और जनता का दोहरा मापदंड यहीं और भी गहराता है। -
अगर आप मानते हैं कि नेता और जनता के लिए एक समान कानून होना चाहिए,
तो इस संदेश को साझा करें और बदलाव में भागीदार बनें। -
अगर आपने फॉरवर्ड नहीं किया, तो किसी नेता को दोषी मत ठहराइए —
ये भी जनता की ज़िम्मेदारी है इस दोहरे मापदंड को बदलने की। -
एक सरकारी कर्मचारी 30–35 साल की सेवा के बाद भी पेंशन का हकदार नहीं,
जबकि सिर्फ 5 साल में विधायक/सांसद पेंशन के हकदार हो जाते हैं —
ये भी स्पष्ट रूप से नेता और जनता का दोहरा मापदंड है।
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